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Fairy Tales: फूलों की राजकुमारी थंबलीना की कहानी! (The Story Of Thumbelina) बहुत समय पहले की बात है. एक महिला अकेली रहती थी, उसकी कोई स...

Fairy Tales: फूलों की राजकुमारी थंबलीना की कहानी! (The Story Of Thumbelina)


Fairy Tales: फूलों की राजकुमारी थंबलीना की कहानी! (The Story Of Thumbelina)
बहुत समय पहले की बात है. एक महिला अकेली रहती थी, उसकी कोई संतान नहीं थी. वो बेहद निराश हो गई थी कि एक रोज़ वो एक परी के पास गई. उस परी ने उसे एक बीज दिया और कहा घर जाकर इसे गमले में लगा देना. उस महिला ने वैसा ही किया. जब वो सुबह सोकर उठी, तो उस बीज में से सुंदर जादुई फूल- टूलिप उग चुका था. टूलिप की एक पंखुड़ी अधखुली थी. उस महिला ने उस पंखुड़ी को चूमा तो वो पूरी तरह खुल गई और उसमें से एक बेहद सुंदर और प्यारी से लड़की निकली. वो लड़की बहुत ही नाज़ुक थी, एकदम फूल की तरह और वो इतनी छोटी थी कि उस महिला ने उसका नाम थंबलीना रख दिया, क्योंकि वो अंगूठे के आकार जितनी ही थी. उस महिला ने कहा कि मैं तुम्हारी मां हूं और तुम्हें बहुत प्यार से रखूंगी. थंबलीना भी बेहद ख़ुश थी. वो फूलों के बिस्तर पर सोती और उसकी मां उसका बहुत ख़्याल रखती.



The Story Of Thumbelina

एक रोज़ वो खेल रही थी, तो एक मेंढक की नज़र उस पर पड़ी. उसने सोचा, यह लड़की तो बहुत ही सुंदर है. मैं अपने बेटे की शादी इससे करवाऊंगा. वो थंबलीना को उठाकर ले गया. उसे देख मेंढक का बदसूरत लड़का बहुत ख़ुश हुआ, थंबलीना को उन्होंने पास के तालाब के एक पत्ते पर रख दिया, जहां से वो चाहकर भी भाग नहीं सकती थी और ख़ुद शादी की तैयारियो में जुट गए.

The Story Of Thumbelina

थंबलीना रोने लगी कि तभी एक तितली की नज़र उस पर पड़ी, तो उसने उसे उठाकर फूलों के शहर में छोड़ दिया. तितली थंबलीना के लिए कुछ खाने का इंतज़ाम करने गई थी और इतने में ही एक काले झिंगुर ने उसे देखा और उसकी ख़ूबसूरती पर फ़िदा हो गया. लेकिन थंबलीना ने उसे कहा कि हमलोग बहुत ही अलग प्राणी है, झिंगुर के दोस्तों ने भी कहा कि ये तो बहुत ही अजीब है, ये हमारी तरह सुंदर नहीं है, तो उन्होंने थंबलीना को छोड़ दिया. थंबलीना घर जाने का रास्ता ढूंढ़ रही थी और जंगल में भटकते-भटकते वो एक बिल के पास पहुंची. बिल की माल्किन एक बूढ़ी चुहिया थी.



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उस चुहिया ने थंबलीना को आसरा दिया, लेकिन बदले में उसे घर के सारे काम करने को कहा. साथ ही एक और शर्त रखी कि चाय के समय थंबलीना को उसे और उसके पड़ोसी चूहे मिस्टर मोल को कहानी भी सुनानी होगी. इतने में ही वो पड़ोसी चूहा मिस्टर मोल आया और उसने थंबलीना को देखा. थंबलीना पर उसका दिल आ गया. मिस्टर मोल ने बूढ़ी चुहिया को कहा कि उन्हें एक नया घर देखने चलना है, तो वो थंबलीना को भी साथ लेकर चल दिए. रास्ते में थंबलीना ने देखा कि एक चिड़िया घायल अवस्था में बेहोश पड़ी है. थंबलीना ने उसकी मदद करनी चाही, तो दोनों चूहों ने कहा कि इसे मरने दो, इसकी क्या मदद करोगी. पर थंबलीना का दिल न माना. उसने चिड़िया को खाना खिलाया, पानी पिलाया. उसके घाव पर वो रोज़ मरहम लगाती. एक दिन मिस्टर मोल ने अपने दिल की बात बूढ़ी चुहिया को कही कि वो थंबलीना से शादी करना चाहता है, तो वो बेहद ख़ुश हुई.

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थंबलीना को जब यह बात पता चली, तो उसने साफ़ इंकार कर दिया, लेकिन चुहिया न मानी, तब थंबलीना ने कहा कि ठीक है, लेकिन एक आख़िरी बार मुझे उस घायल चिड़िया से मिलना है. थंबलीना जब वहां गई, तो उसने देखा वो चिड़िया ठीक हो चुकी है और आसमान में उड़ रही है. चिड़िया ने थंबलीना से कहा कि वो जल्दी से उसकी पीठ पर बैठ जाए, ताकि वो उसे यहां से दूर ले जा सके. थंबलीना ने वैसा ही किया.

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चिड़िया उसे दूर फूलों के देश में ले आई. थंबलीना ने देखा कि वहां एक सुंदर-सा राजकुमार है. राजकुमार ने भी थंबलीना को देखा, तो देखते ही उस पर मुग्ध हो गया. थंबलीना को भी राजकुमार से पहली नज़र में प्यार हो गया. राजकुमार बड़े ही अदब से थंबलीना के पास आया और अपना परिचय दिया कि मैं इस फूलों के देश का राजकुमार हूं, क्या तुम मेरी रानी बनोगी…? थंबलीना शरमा गई और उसे फूलों के देश की ओर से पंख भी मिल गए, जिससे वो राजकुमार के साथ यहां-वहां उड़कर सैर पर जा सके. दोनों ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे.

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सीख: कर भला, हो भला… थंबलीना का मन बहुत ही भावुक और प्यारा था, इसलिए इतनी परेशानियों के बावजूद वो अपने मुकाम तक पहुंची. उसने दूसरों की मदद की, तो बदले में उसे भी मदद मिली. साथ ही उसने अपनी बहादुरी और समझदारी नहीं छोड़ी

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